भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इश्क़ से यूँ न फ़ासला रखिये / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इश्क से यूँ न फ़ासला रखिये
पास दिल की कोई दवा रखिये

दूर रहिये न कभी अपनों से
मिलते रहने का सिलसिला रखिये

है वफ़ा कम बहुत दग़ाबाज़ी
आप सब से मगर वफ़ा रखिये

लोग सम्बन्ध कम बनाते हैं
आप हर एक से निभा रखिये

हर कदम पर मिली मुसीबत है
कुछ ज़रा दिल में हौसला रखिये