इश्तिहारों ने ही अखबार संभाले हुए हैं / नकुल गौतम
रुख हवा का भी खरीदार संभाले हुए हैं,
इश्तिहारों ने ही अखबार संभाले हुए हैं
हर तरफ फ़ैल रही है जो वबा लालच की
इन तबीबों ने भी बाज़ार संभाले हुए हैं
कर रही है ये बयानात का सौदा खुल के,
ये अदालत भी गुनहगार संभाले हुए हैं
आप का हुस्न तो परवाने बयान करते हैं,
आइना आप ये बेकार संभाले हुए हैं
अब वसीयत ही अयादत का सबब हो शायद,
हम नगीने जो चमकदार संभाले हुए हैं
आप कह दें तो हक़ीक़त भी बने अफ़साना,
आप की बात तरफदार संभाले हुए हैं
पासबां लूट रहे हैं ये ख़ज़ाने मिल कर,
मयकदे आज तलबगार संभाले हुए हैं
कोशिशें आप करें लाख गिराने की घर,
हम तो हर हाल में दीवार संभाले हुए हैं
क्या बढ़ाएंगे मेरा दर्द मुखालिफ मेरे,
काम मेरा ये मेरे यार संभाले हुए हैं
बेड़ियां तोड़ रहे हैं ये बदलते रिश्ते,
"आप ज़ंजीर की झंकार संभाले हुए हैं"