इसी भीड़ में सम्भव है प्रेम 
इसी तुमुल कोलाहल में 
जब सूरज तप रहा है आसमान में 
जींस और टी-शर्ट पहने वह युवती 
बाइक पर कसकर थामे है 
युवक चालक की देह 
इसी भीड़ में 
सम्भव है प्रेम !
इसी भीड़ में सम्भव है प्रेम 
इसी तुमुल कोलाहल में 
जब सूरज तप रहा है आसमान में 
जींस और टी-शर्ट पहने वह युवती 
बाइक पर कसकर थामे है 
युवक चालक की देह 
इसी भीड़ में 
सम्भव है प्रेम !