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इसी रकम की चाहना कोन्या मत जाणे का नाम लिए / मेहर सिंह

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छुट्टी के दिन पूरे होगे दिल आपणे नै थाम लिए
इसी रकम की चाहना कोन्या मत जाणे का नाम लिए।टेक

इस पेट की खातिर सब कुछ करणा के धिगताणा चालै सै
मेरी याणी उम्र अकेली रैहगी क्यूं गल मैं फांसी घालै सै
तूं सुबक सुबक कै रोवै मतना मेरा का लजा हालै सै
तूं ठुकरा कै चाल पड़्या मेरी जिन्दगी राम हवालै सै
तेरी जिन्दगी राम हवाले कोन्या चाहिए जितने दाम लिए
दामां नै के फूकूंगी जिब खिंड जोबन के आम लिए।

क्यूंकर आम खिंड़ें जोबन के महीने भीतर आल्यूं मैं
जै ना आया तै भईयां की सूं जहर मंगा कै खाल्यूं मैं
जै ना आया तै चिट्ठी गेरूं अपणे पास बुलाल्यूं मैं
सारी रात एकली सोऊं क्यूं कर दिल समझाल्यूं मैं
जै दिल भी ना समझाया जा तै आपै हो बदनाम लिए
जै मेरी बात मैं फर्क लिकड़या जा तार बदन का चाम लिए।

घणी देर का कैह र्या सूं तेरी नहीं समझ मैं आई
पिया बड़े बडेरे कैहते आए मर्दा गैल लुगाई
डाट लिए तूं झाल बदन की इस मैं तेरी भलाई
गोडे दे छाती पै चढ़ज्या पापी ईश्क कसाई
जै इज्जत का ख्याल करै तै ईश्क कै घाल लगाम लिए
किस नै ले कौली मैं सोज्यां के मनै बेटा बेटी जाम लिए।

तुरन्त का लिप्या दिखै सै आगे का ख्याल करया कोन्या
तेरे प्रेम मैं मरी पड़ी सुं इस मैं खोट मेरा कोन्या
तूं घरां बैठ कै खा लेगी ईसा धन का कुंआ भर्या कोन्या
कह नै मेहर सिंह ख्याल बीर नै मर्दां बिना सर्या कोन्या
दुख हो कै सुख होया करै तूं भोग सभी आराम लिए
जै ब्याही बीर का सुख चाहवै तै छोड़ दूसरा काम दिये।