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इसी सरोवर में / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर

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— ‘तुम्हें देखने के बाद लगता है अन्य सभी लड़कियाँ बानरी हैं’

— ‘चौबीस घंटे में यदि यह वाक्य
      तुमने वापस नहीं लिया तो
      मैं इसी सरोवर में डूबकर मर जाऊँगी’.

— ‘किस सरोवर में ?’
—‘इसी सरोवर में
    लेकिन यह सरोवर तो और भी भयानक है’

    रात बारह बजे इसी सरोवर से उठेगा सञ्जय
    इसी सरोवर से उठेगा अञ्जन
    दोनों भागेंगे दो तरफ़
    सञ्जय कहेगा हवा को
    हवा बहेगी
    बारनाबत से उत्तर भारत में
    तेलंगाना से जब अंजन
    एक जनगोष्ठी ले वापस खड़े होंगे सामने
    तुम क्या कहोगे ?

    जब विपाशा
    जब नर्मदा
    जब तमसा
    सुवर्ण रेखा
            माथा भाँगा
    जलढाका से उठ खड़े होंगे कालपुरुष सब
    उस लड़की को देख जब फिर कहेंगे –
    ‘तुम्हें देखने के बाद लगता है अन्य सभी लड़कियाँ बानरी हैं’।

    तुम क्या करोगे ?
    
    चौबीस घण्टे के भीतर तुम देख लेना,
    चौबीस घण्टे के भीतर मैं इसी सरोवर में डूबकर मर जाऊँगी
    
    हस्तिनापुर की सब लड़कियाँ यहाँ आकर रोएँगी
    अभिशाप देंगी
    उसके बाद लौट जाएँगी

    विपाशा में
    नर्मदा में
    सुवर्ण रेखा में ।

मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर