भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस तरह कोई किसी से बात करता है / कैलाश झा 'किंकर'
Kavita Kosh से
इस तरह कोई किसी से बात करता है
दोस्त बनकर भी सदा आघात करता है।
स्वार्थ में डूबा हुआ है रातदिन लेकिन
दीन-दुनिया कि बहस में रात करता है।
आँख में उसकी हमेशा भूख दौलत की
देखकर संभावना उत्पात करता है।
लोभ देकर फाँसने में वह बहुत माहिर
लोभ में फँसता जो उसकी मात करता है।
जो गुज़र करता ठगी पर या दलाली पर
काम करने का नहीं ज़ज़्बात करता है।
मान से-सम्मान से उसको नहीं मतलब
सिर्फ दौलत के लिए आफ़ात करता है।