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इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये / हसरत जयपुरी

इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिए
रोज़ मैख़ाने में आया कीजिए

छोड़ भी दीजिए तकल्लुफ़ शेख़ जी
जब भी आएँ पी के जाया कीजिए

ज़िंदगी भर फिर न उतेरेगा नशा
इन शराबों में नहाया कीजिए

ऐ हसीनों ये गुज़ारिश है मेरी
अपने हाथों से पिलाया कीजिए