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इस दुनिया में / राम नाथ बेख़बर
Kavita Kosh से
मैंने मूँद ली है
अपनी आँखें
बन्द कर लिया है
अपना मुँह
और
बैठ गया हूँ
कानों में
डालकर तेल
क्योंकि
इस दुनिया में
देखने लायक
कुछ भी नहीं बचा
कहने के लिए
कुछ भी
शेष नहीं
और
सुनने के लिए
ऐसा क्या है
जिसे चुपचाप
सुना जा सके देर तक ।