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इस बात से वाक़िफ़ हैं सब कोई नहीं अंजान है / अजय अज्ञात
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इस बात से वाक़िफ़ हैं सब कोई नहीं अंजान है
औलाद के भी काम से माँ बाप की पहचान है
बेजोड़ है जिस का हुनर पाता वही शुहरत यहाँ
ज़िंदादिली से जो जिये सच्चा वही इंसान है
ख़ुद पर जिसे होता यकीं होता वही है कामरां
पाता वही सम्मान जो भी साहिबेईमान है
तेरी दुआओं के असर से मर्तबा है ये मिला
तेरी नवाज़िश से हुई ये ज़िंदगी आसान है
महनतमशक्कत के बिना शोहरत कभी मिलती नहीं
कोशिश बिना पूरा कभी होता नहीं अरमान है
ताज़िंदगी माँबाप का कर्जा चुका सकते नहीं
पालक वही‚ पोषक वही‚ दाता वही भगवान है
‘अज्ञात' की तो बात ही सबसे जुदा है दोस्तो
सम्मुख खड़ी है आपदा लब पर मगर मुस्कान है