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इस व्यक्ति पर / ब्रज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इस व्यक्ति पर संदेह करो...
ये यह सोचकर सोता है ज़्यादा
कि कोई और भी तो सोता है देर तक
ये इस आधार पर रहना चाहता है बचकर
कि कोई और भी तो बच जाता है
गुनाह के बाद
ये इस ज़िद से नहीं करता अच्छे काम
कि पहले सुधरें और भी तो लोग
ये विहँसता है उस दिन
जिस दिन होता है ग्रहण