भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस सदी -सी बेहया कोई सदी पहले न थी / नूर मुहम्मद `नूर'
Kavita Kosh से
इस सदी-सी बेहया कोई सदी पहले न थी
इस क़दर बेआब आँखों की नदी पहले न थी
क्या कहा जाए उजालों के सियह किरदार पर
तीरगीबर्दार ऐसी, रौशनी पहले न थी
पाँव रक्खें तो कहाँ रक्खें बताएँगे हुज़ूर
आपकी धरती तो इतनी दलदली पहले न थी
अब तो यमुना के किनारे भी बहुत वीरान हैं
कृष्ण तेरी बाँसुरी यूँ बेसुरी पहले न थी
क्या कहें इसको तक़ाज़ा वक़्त का या और कुछ
दोस्तों के साथ ऐसी दुश्मनी पहले न थी
मस्लेहत तो है यक़ीनन जानते हैं आप भी
वरना जैसी आजकल है शायरी पहले न थी
शब्दार्थ
<references/>