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इस सदी -सी बेहया कोई सदी पहले न थी / नूर मुहम्मद `नूर'

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इस सदी-सी बेहया कोई सदी पहले न थी
इस क़दर बेआब आँखों की नदी पहले न थी

क्या कहा जाए उजालों के सियह किरदार पर
तीरगीबर्दार ऐसी, रौशनी पहले न थी

पाँव रक्खें तो कहाँ रक्खें बताएँगे हुज़ूर
आपकी धरती तो इतनी दलदली पहले न थी

अब तो यमुना के किनारे भी बहुत वीरान हैं
कृष्ण तेरी बाँसुरी यूँ बेसुरी पहले न थी

क्या कहें इसको तक़ाज़ा वक़्त का या और कुछ
दोस्तों के साथ ऐसी दुश्मनी पहले न थी

मस्लेहत तो है यक़ीनन जानते हैं आप भी
वरना जैसी आजकल है शायरी पहले न थी

शब्दार्थ
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