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ईच्छा पूरी करण की खातिर आओ सो मेरै याद पिया / मेहर सिंह

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वार्ता- प्रिय सज्जनों राजकुमार पवन अपने अपमान का बदला लेने के लिए अंजना को 12 साल का दुहाग दे देता है तो अंजना अकेली अपने दिन गुजारती है तो उसके शरीर में काम देव जागृत हो जाता है अंजना स्वयं अपने बारे में दिल में क्या कहती है-

ठण्डी हवा चलै सामण की कामदेव ने जोर किया
ईच्छा पूरी करण की खातिर आओ सो मेरै याद पिया।टेक

प्रेम करण नै तबीयत चाही इच्छा पूरी हो मेरी
बिना पति के एक पल छन मैं तन की हो डुबा ढ़ेरी
मस्त हुई मैं जवान उम्र मैं इस जोबन का रंग ले री
आओ पति जी कहां चले गए या दासी याद करै तेरी
मैं याद करूं मेरा कष्ट मेट द्यो तुम बिन अब लगता नहीं जिया।

मैं पतिव्रता सती स्त्रिी धर्म कर्म जाणूं सारा
मैं पति के दिल में दिल राखूं सूं हरगिज ना होता न्यारा
अंगकी कली खिली मौसम पै जोश बदन मैं है न्यारा
मेरी सलाह कुछ प्रेम करण की हितचित से करो निस्तारा
तेरी अर्धांगिनी बणन की खातिर मेरी माता नै जन्म दिया।

मनुष्य पखेरु जीव जन्त सब काम के मारे मरते हैं
कामदेव है जबर जगत मैं मारे मारे फिरते हैं
जती मर्द और सती स्त्रिी सदा काम से डरते हैं
पर काम क्रोध मद लोभ मोह की आश हमेशा करते हैं
फिर अंजना नै हाथ जोड़ कै साजन को प्रणाम किया।

कामदेव की झाल बदन मैं मेरै कसूती जागै सै
एक ठिकाने दिल कोन्या मन पक्षी बण कै भागै सै
इस मोकै पै ऋतु दान सुत्या भाग न्यूं जागै सै
अकलमन्द ले समझ ईसारा मुर्ख कै के लागै सै
इस दुःख तै पार होण की खातिर मेहर सिंह रट राम लिया।