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ईश्वर का बीज / अम्बिका दत्त

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निर्विवाद है मेरी ईमानदारी
मैं ईश्वर को नहीं मानता
उसके लिए
कोई जरूरी भी नहीं है
मेरा ईश्वर को मानना
या, न मानना
मैं ईश्वर को मानने से पहले
जानना चाहता हूं
उन सब कठिन सच्चाईयों को
जो ईश्वर को आवश्यकता के नजदीक लाती है

ईश्वर कोई विटामिन की गोली नहीं हैं।
मेरी निगाह में
ईश्वर एक गेंहू का बीज नहीं है
जिसे अंकुर बनकर फूटने के लिये
जमीन फोड़नी पड़ती है
और जितना लड़ना पड़ता है
जमीन फोड़ने के लिये जमीन से
उससे पहले/उससे ज्यादा
जमीन से बाहर आने के लिए
लड़ना पड़ता है
अपने आप को तोड़ने के लिए।