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ईश्वर तुमपे भारी है हत्यारा / राजेश कमल

गाँधी को गोडसे ने नहीं मारा
कलबुर्गी, दाभोलकर, पानसरे और
गौरी लंकेस को भी
उसने नहीं मारा जिसने चलाई गोली
किसी को उसकी सद्भावना ने,
तो किसी को उसकी क़लम ने मारा
किसी की नफ़रत ने तो कतई नहीं
वंचितों की हत्या आत्महत्या थी
बेरोज़गारों की आत्महत्या कायरता थी
किसानों की मौत का कारण कदापि सरकारें नहीं थीं
उन्हें तो नपुंसकता ने मारा
अख़लाक़ की हत्या गोश्त के कारण हुई
पहलू खान की हत्या तो हुई ही नहीं
पुलिस ने कहा, अदालत नें कहा
सब नें कहा
उसे तो किसी ने नहीं मारा
है ईश्वर
सुना था तुम्हारा डंडा दिखाई नहीं देता
यहाँ तो हत्यारे की शक्ल ही दिखाई नहीं देती
कैसी लीला है प्रभु
तुम पर तो भारी है हत्यारा
बहुत ही भारी