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ईश्वर / लैंग्स्टन ह्यूज़
Kavita Kosh से
मैं ईश्वर हूँ -
इस अनंत विश्व में
मित्रविहीन
अपनी पवित्रता में अकेला।
मेरे नीचे प्यारी धरती पर
युवा प्रेमी चहलकदमी कर रहे
पर मैं ईश्वर हूं -
मैं नीचे नहीं आ सकता।
वसंत!
जीवन प्यार है!
प्यार ही जीवन है!
मनुष्य होना बेहतर है
ईश्वर की तरह
अकेला होने से।