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ईस्ट फिंचली का क़ब्रिस्तान / ऋचा जैन

1.
14 मार्च 2020:
लंदन में मौत का आँकड़ा 21
एक दिन में दोगुने से ज्यादा
कहते हैं कि वास्तविक आँकड़े कहीं अधिक हैं
इटली बंद हो गया। फ़्रांस बंद होने की कगार पर। ब्रिटेन बहादुर है–खुला है।
शनिवार की दोपहर है। मैं टहलने के लिए निकली हूँ।
मैं पड़ोस के कब्रिस्तान में आती हूँ। बहुत सुरक्षित जगह है ये, हमेशा।
आज पहले से भी ज्यादा
कोई खाँसता नहीं, कोई छींकता नहीं

2.
एक अलग तरह की गंध आती है मुझे यहाँ
कभी लुभाती है, बुलाती है
कभी कहती है, 'कोई और रास्ता लो'

मैंने देखा है यहाँ एक जोड़ा-दूल्हा और दुल्हन का
एक घोड़ा गाड़ी भी देखी है मैंने एक दिन, किसी ताबूत को सम्भाले
रविवार और शनिवार को चैपल में हलचल देखी है
फूल चढ़ाती औरत देखी है
प्रार्थना करते लोग देखे हैं
हाथों में हाथ डाल टहलते अधेड़ जोड़ा देखा है
ठिलठिलाते, केक खाते बच्चे देखे हैं

तुम ज़िंदा हो, यहाँ आते हो
तुम मर जाते हो, तो आते हो
अनजान हो, तो भी आते हो

यहाँ एक बेंच पर बैठने और समझने-पुराने देवदार से,
बबूल से, साइप्रस की लम्बी क़तारों से, कौवे से, जो दफन हैं उनसे

मैं अक्सर यहाँ आ जाती हूँ।

3.
आगे पीछे कोई नहीं
दूर-दूर तक
अगल-बगल बहुत लोग हैं
धँसे हुए
बीच में मैं
खींचते हैं मुझे लगातार
कभी जैसे कुछ पकड़ा रहे हों
कभी मेरा कुछ छुड़ा रहे हों

मैं तेज़ कदमों से चलकर चैपल के पास वाली बेंच पर आकर बैठ जाती हूँ
सामने का फ़व्वारा और उसके दोनों ओर लगे दो विशालकाय लेबनानी देवदार बड़े सुखदायी हैं
फिर पीछे नज़र डालती हूँ
और उसे जो मिल चुका है और उसे भी जिसकी अभी चाह है
दफ़न कर बाहर निकल आती हूँ
मैं अकसर यहाँ आ जाती हूँ।

4.
एक ओर क़ब्रिस्तान का सन्नाटा
उसकी ऊँची दीवार
तो दूसरी ओर एक व्यस्त सड़क
बीच में मैं
फूटपाथ पर चलती हुई
पूर्ण रूप से सुरक्षित, सुखी, उत्साह से भरी हुई
न मझमें वह सन्नाटा है क़ब्रिस्तान का
जो कारों की दौड़ से अनभिज्ञ चुपचाप लेटा है
और न ही है मुझमें सन्नाटे से अनभिज्ञ किसी मोटर की दौड़
मेरे पास कदम हैं
मेरे पास साँसें हैं
मुझमें लय है
मैं चल रही हूँ, बस चल रही हूँ

5.
वो आगे चल रहा था
मैं पीछे-पीछे
मैं जैसे ही थोड़ा नज़दीक पहुँचती
वह और तेज़ी से चलने लगता

मैं और पास आई तो वह उड़ कर पेड़ की डगाल पर बैठ गया
थोड़ा और पास तो और-और ऊँची डगाल पर
फिर बीट कर दी
डर गया था वह मुझसे
उसे पता नहीं था मैं उड़ नहीं सकती
मुझे भी क्या पता था कि डरता है वह मुझसे