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उँचियो टाल कवन बाबा, हुनका मानिक दीप जरै हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

उँचियो<ref>ऊँचा</ref> टाल<ref>टीला; अट्टालिका</ref> कवन बाबा, हुनकॉ<ref>उनका</ref> मानिक दीप जरै<ref>जलता है</ref> हे।
ताहि ओठँगली<ref>किसी चीज का सहारा लेकर बैठी; उठँगी</ref> कनिआ मामा, सुनहुँ पिया पंडित हे।
अहे, बारहे बरिस के ललनमा<ref>लल्ला, छोटा लड़का, जिसका उपनयन हो रहा है</ref> जनेउआ लागि हहरै<ref>डरता है; आश्चर्यित होता है; सिहाता है; हहरता है</ref> हे॥1॥
सुनहो धानि छुलाछनि<ref>सुलक्षणा, अच्छे गुणोंवाली; सौभाग्यवती; कभी-कभी इस शब्द का व्यंग्यात्मक प्रयोग होता है</ref> जनेउआ कुछु चाहिय हे।
चाहिय आजन बाजन, दस बाभन भोजन हे।
चाहिय आजन बाजन हे, जनेउआ गेठ<ref>ग्रंथि-बंधन</ref> बन्हन हे॥2॥

शब्दार्थ
<references/>