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उजड़ गए रिश्ते / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
गाँव था भोजरासर
कुंभाणा में ससुराल
मणेरा में ननिहाल
कितना छतनार था
रिश्तों का वट-वृक्ष।
हवा नहीं हो सकती ये
जरूर रुदन कर रहा है
उजाड़ मरूस्थल में पसरा
रेत का अथाह समंदर
गावों के संग
उजड़ गए
कितने रिश्ते!