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उज्‍जयिनी में स्त्रियों के केश सुवासित / कालिदास

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»  उज्‍जयिनी में स्त्रियों के केश सुवासित

जालोद्गीर्णैरुपचितवपु: केशसंस्‍कारधूपै-
     र्बन्‍धुप्रीत्‍या भवनशिखिभिर्दत्‍तनृत्‍योपहार:।
हर्म्‍येष्‍वस्‍या: कुसुमसुरभिष्‍वध्‍वखेदं नयेथा
     लक्ष्‍मीं पर्श्‍यल्‍ललितवनितापादरागाद्दितेषु।।

उज्‍जयिनी में स्त्रियों के केश सुवासित
करनेवाली धूप गवाक्ष जालों से बाहर उठती
हुई तुम्‍हारे गात्र को पुष्‍ट करेगी, और घरों
के पालतू मोर भाईचारे के प्रेम से तुम्‍हें नृत्‍य
का उपहार भेंट करेंगे। वहाँ फूलों से
सुरभित महलों में सुन्‍दर स्त्रियों के महावर
लगे चरणों की छाप देखते हुए तुम मार्ग की
थकान मिटाना।