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उड़ते हुए जुगनू को सितारा समझ लिया / श्याम कश्यप बेचैन
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उड़ते हुए जुगनू को सितारा समझ लिया
ख़ुश है कि आसमाँ का इशारा समझ लिया
वो बिन बताए हाल हमारा समझ लिया
बस, इक नज़र में मामला सारा समझ लिया
सारे शहर को पाट दिया इश्तहार से
यारों ने इंक़लाब को नारा समझ लिया
होगा ही उसका हाल भी चौहान की तरह
दुश्मन को अपने जिसने बिचारा समझ लिया
क्या खूब लगाई मेरे जज़्बात की क़ीमत
तोहफ़े को मेरे आपने चारा समझ लिया
मत बोल, कर जुबान से शर्मिन्दा कर मुझ
मैने तेरी आँखों का इशारा समझ लिया