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उड़ा-उड़ा मेरा गुब्बारा / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
उड़ा-उड़ा मेरा गुब्बारा,
छोटा सा यह यान हमारा।
तारों की झिलमिल दुनिया में
लो पहुँचा मेरा गुब्बारा।
बैठ कभी मैं इस पर भाई
छूँ ही लूँगा आसमान को,
कैसे अपने चंदा मामा
बतलाऊँगा सब जहान को।
कैसे नन्हे नटखट तारे
गुस्से वाले सूरज दादा,
दुनिया को बतलाऊँगा में
वादा है जी पक्का वादा।
उड़ा-उड़ा मेरा गुब्बारा,
खेल सधा है इस पर सारा।