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उड़ि जातिउ सोना चिरैया / बघेली
Kavita Kosh से
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया
अपने ननंदी का बेसर बनवाय देबइ
झुलनी लयउबै बड़ी बांकी
ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
अपने ननंदी का कंगना बनवाय देबइ
पहुंची लयउबै बड़ी बांकी - ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया
अपने ननंदी का बहुंटा बनवाय देबइ
बाजू लयउबै बड़ी बांकी ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
अपने ननंदी का चुरवा बनवाय देबइ
जेहरी लयउबै बड़ी बांकी ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया
ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया
ननंद मोरी