भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उड़ी हवा में लाल पतंग / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
उड़ी हवा में लाल पतंग,
हाँ जी, हाँ जी, लाल पतंग,
करती खूब कमाल पतंग।
बब्बू जिसमें जी भर तैरे,
सपनों का वह ताल पतंग।
दोस्त हवा की प्यारी-प्यारी,
धरती की यह राजदुलारी।
सबके मन में खुशियाँ घोले,
सबको बातों से ही तोले।
दिखा-दिखाकर चाल पतंग!
उड़ी हवा में लाल पतंग,
देखो बड़ी कमाल पतंग।