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उतरन / ललन चतुर्वेदी

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इन दिनों मैंने पहन लिये हैं
दूसरे के कपड़े
लोग कहते हैं-अच्छे लग रहे हो
कहाँ से खरीदी, कहाँ से सिलवाई
मेरे पास कोई जवाब नहीं
कपड़े देने वाला हरदम
मेरे साथ रहता है
मैं अक्सर मौन रहता हूँ इन दिनों।
चलो, रात होने को है
मैंने कपड़े उतार कर
टांग दिये हैं खूंटी में
बड़ी राहत मिली है
आज अच्छी नींद आएगी।