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उत्सव / अरुण कमल

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देखो हत्यारों को मिलता राजपाट सम्मान
जिनके मुँह में कौर माँस का उनको मगही पान

प्राइवेट बन्दूकों में अब है सरकारी गोली
गली-गली फगुआ गाती है हत्यारों की टोली
देखो घेरा बांध खड़े हैं ज़मींदार की गुण्डे
उनके कन्धे हाथ धरे नेता बनिया मुँछ्मुण्डे
गाँव-गाँव दौड़ाते घोड़े उड़ा रहे हैं धूर
नक्सल कह-कह काटे जाते संग्रामी मज़दूर
दिन-दोपहर चलती है गोली रात कहीं पर धावा
धधक रहा है प्रान्त समूचा ज्यों कुम्हार का आँवा
हत्य हत्या केवल हत्या-- हत्या का ही राज
अघा गए जो माँस चबाते फेंक रहे हैं गाज

प्रजातन्त्र का महामहोत्सव छप्पन विध पकवान
जिनके मुँह में कौर माँस का उनको मगही पान