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उदासी-4 / राजेश्वर वशिष्ठ
Kavita Kosh से
दिन में कई बार चैक करता हूँ
फेसबुक और व्हाट्स-एप
पढ़ता हूँ पुराने स्टेटस और कमेण्टस
लगाता हूँ कितने सारे अनुमान
तुम्हारी अनुपस्थिति को लेकर
परेशानी और बेचैनी में
पिंघलने लगता हूँ
किसी ग्लेशियर की तरह
बहती है प्रतीक्षा की एक नदी
मैं उदास हूँ बस तुम्हारे लिए