भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उदास रहने को अच्छा नहीं बताता है / मुनव्वर राना
Kavita Kosh से
उदास रहने को अच्छा नहीं बताता है
कोई भी ज़ह्र<ref>विष</ref>को मीठा नहीं बताता है
कल अपने आपको देखा था माँ की आँखों में
ये आईना<ref>दर्पण</ref>हमें बूढ़ा नहीं बताता है
शब्दार्थ
<references/>