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उनकी सफ़लता का राज / संजय चतुर्वेदी

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नई नस्‍ल के विजेता चाहने वालों से मिलते हैं
कड़ी मेहनत से पहुंचे वे यहां तक
लाखों को पीछे छोड़ते हुए
वे हैं देखने दिखाने काबिल
लोग उनसे पूछते हैं
उनकी सफलता का राज
लाचार मुस्‍कुराहट उनके चेहरों पर
कैसे बताएं वह जो उनको नहीं पता ठीक से
वह जो घुला आज के हवा-पानी में
वह जो बोया गया पिछली शताब्दियों में
वह जो छिपा कत्‍ल की इच्‍छा के आसपास
वह जो उतरता जंगली जानवरों में
बचपन की ट्रेनिंग के साथ
उनकी प्रतिभा से तेज चमकती है उनकी लाचारी
वे नहीं बता पाएंगे अपनी सफलता का राज

कोई पूछे उनके मां-बाप से
शायद हल्‍का-सा अंदाज हो उन्‍हें.
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