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उन्हें कभी है अदा न करना / कैलाश झा 'किंकर'
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उन्हें कभी है अदा न करना
जो माँगें फिर तो दिया न करना।
उठो बढ़ो ख़ुद मुकाम पाओ
कभी किसी से गिला न करना।
हजार राहें हज़ार मंजिल
कभी डगर में रुका न करना।
बुरा के बदले बुरा ही मिलता
कभी किसी का बुरा न करना।
दिमाग खाली नयन भी बोझिल
कभी कहीं रतजगा न करना।
कहाँ फँसे हो तू यार "किंकर"
कभी ख़ुशी को विदा न करना।