भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उन्होंने मुझे इतना सताया / अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
उन्होंने मुझे
इतना सताया,
कि मैं मौत को भी
न भाया ।
कुछ ने अपना
प्रेम जताया,
और कुछ ने
अपना वैर दिखाया ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Аполло́н Григо́рьев
Они меня истерзали… (из Гейне)
Они меня истерзали
И сделали смерти бледней, —
Одни —
своею любовью,
Другие —
враждою...