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उन में से बच रहे जो हम हैं मियाँ / शीन काफ़ निज़ाम
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उन में से बच रहे जो हम हैं मियाँ
सब इसी बात के ही ग़म हैं मियाँ
दुःख समझ लेंगे लोग कम है मियाँ
जी में ऐसे ही कुछ भरम हैं मियाँ
इक धुंधलका है आँख के आगे
और रुकते हुए क़दम हैं मियाँ
खौफ़ में है ख़ला की ख़ामोशी
फ़ासले अब बहुत ही कम हैं मियाँ
मर के भी छूट जाएँ कौन कहे
जाने कितने अभी जनम हैं मियाँ
क़ाबिल-ए-ज़िक्र कोई बात नहीं
क्या कहें क्यूँ उदास हैं मियाँ
मसअला हल करे तो कैसे करे
इब्ने-मरियम के अपने ग़म है मियाँ