उन से नहीं अब कुछ इमकाने-गुफ्तार
आपस में नहीं हैं सुल्ह के भी आसार
यूँ तो नहीं हल किस मुश्किल का लेकिन
समझाना है मर्दे-नादां को दुश्वार।
उन से नहीं अब कुछ इमकाने-गुफ्तार
आपस में नहीं हैं सुल्ह के भी आसार
यूँ तो नहीं हल किस मुश्किल का लेकिन
समझाना है मर्दे-नादां को दुश्वार।