उपयोगी हैं साथियो, जग की चीज तमाम।
पर यह दीगर बात है, कब, किससे हो काम॥
कब, किससे हो काम, जरूरत जब पड़ जाये।
किसका क्या उपयोग, समझ में तब ही आये।
'ठकुरेला' कविराय, जानते ज्ञानी, योगी।
कुछ भी नहीं असार, जगत में सब उपयोगी॥
उपयोगी हैं साथियो, जग की चीज तमाम।
पर यह दीगर बात है, कब, किससे हो काम॥
कब, किससे हो काम, जरूरत जब पड़ जाये।
किसका क्या उपयोग, समझ में तब ही आये।
'ठकुरेला' कविराय, जानते ज्ञानी, योगी।
कुछ भी नहीं असार, जगत में सब उपयोगी॥