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उमतैली छै / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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बागमती उमतैली छै
बूढ़ी गंडक पगलैली छै,
करेह करै छै तांडव हो!
दौड़ऽ हो! बचाबऽ हो!
बाप रे-डुबलाँ।
ई रङ-बाढ़!!!
जिनगी में नैं देखलाँ।
गामों घरऽ में-माथा ऊपर पानी।
छपरऽ पर बैठी केऽ-
गाछी में लटकी केऽ-
पक्का से हुलकी केऽ-
बोले छै-बुढ़िया दादी/बुढ़िया नानी।
टीला, टभार पर/कुछ-कुछ बचलऽ छै
मतर वहाँ भी/हाय राम/ साँपोऽ सें-
बिच्छू सें-डसंलऽ छै।
उड़न खटोलाँ जब/खाय लेल गिराबै छै-
बलवान्हैं पाबै छै/दुबरा पछताबै छै।
बाबू सब, भैया सब/नाबोऽ सें आबै छै
हाथोऽ में पकड़ाबै छै।
मगर, झपटै छै देखी केऽ
बंदर, गीदड़, कुत्ता।
आबे की खबरऽ-हे भगवान!
कहाँ जाँव? आगू में साँप-
पीछू में बिरनी रॅ छत्ता।
आँखी हेजूर में/बस्ती के बस्ती साफ
पोता साफ, पेाती साफ
माया-बाप, बाबा साफ
भाय-भतीजा साफ।
कथी लेल बचलाँ?
कोय नैं रहलऽ साथ।
कुछ नैं बचलऽ हाथ।
बारी डूबलै/झारी डुबलै,
डूबलै फसल हजारी।
गरीब गुरुवा के/ किस्मत डूबलै-
डूबलै नाव मझधारी।
माल मवेशी/सब तेऽ भाँस लै-
भाँस लै हाय बकरिया।
कपड़ा लत्ता/सब कुछ भाँसलै;
भाँस लै लोटा थरिया।
कहाँ जाँव?/मोहीं बतलाबऽ-
सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा?
ओकरौह तेऽ/बाढ़ें गिलनें छै-
खुद्दे छै भूखा नंगा।
त्राहिमास
मुंगेर, सहरसा, रोसड़ा टापू;
बखरी आ खगड़िया।
सर्वनाश बेगूसराय केऽ
डूबलै हाय चपरिया।
प्यारा तेघड़ा/सोना बलिया।
उत्तर-दक्षिण/पूरब-पश्चिम
पीड़ित हाय बिहार।
अग्नि परीक्षा छै-/नीतीश केऽ
रहतै या/जैतै सरकार।

-अंगिका लोक/ अक्तूबर-दिसम्बर, 2007