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उम्मत हुई अखाड़ा / संजय चतुर्वेद

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धरमभेद का कठिन कुल्हाड़ा,
कैसी ठोस कौम बंगाली उसे बीच से फाड़ा
क्या कश्मीरी क्या मलयाली सबका किया कबाड़ा
हम इसराइल हम इसमाइल हम ही खींचें बाड़ा
इबराहिम चिल्लाय कपूतो उम्मत हुई अखाड़ा
मारें मरें छातियाँ कूटें चौकस चलै नगाड़ा
दिल दिमाग़ में बम रक्खे हैं बाहर फैला जाड़ा ।