भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उरझो जगत भक्त बिसराई / संत जूड़ीराम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उरझो जगत भक्त बिसराई।
जादू जाल वेद विधा कर कर्म धर्म उर मची लड़ाई।
खट दरसन परस्पर पूरन आप-आप ही करत बड़ाई।
बिनु गुरु ज्ञान ध्यान मत ठानी समझ चित्त फिर-फिर अरुलाई।
भटको बहुत अटक सब टूटी सत्त असत्त दृष्टि नहिं आई।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें काल कर्म बहु फंद बधाई।