भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उरीस / चंदन कुमार झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नान्हि टा उरीसमे
नहि रहैत छैक
ककरो गीड़ि जयबाक शक्ति
नहिएँ करैत अछि
सोझाँसँ ढाही लेबाक गुमान

ओकरा माथमे पैसल रहैत छैक
सदति एक टा बिनबिन्नी
काठक अन्हार गुज्ज फाँकसँ
बहरयबाक औनैनी

नहि होइत छैक
बिखाह चाँगुर कि दाँत ओकरा
नहिएँ रहैत छैक
मनुक्खक प्राण हरबाक विष
मुदा रहैत छैक बिन्हबाक सूढ़
शोणित पीबाक शक्ति
लोककेँ सूतय नहि देबाक
गुण कि अवगुण !

सम्भव नहि एहि रक्तबीजक
कुल-मूलक उकन्नन
कोनो अस्त्र-शस्त्र
कि रासायनिक प्रयोगसँ

एकर सर्वनाश हेतु
राखय पड़छ सजगता
राखय पड़ैछ अपनहि स्वच्छता