भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उलारा / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
मारयो नांव खेवैय्या दुश्मन मारयो नांव खेवैय्या हो।
रौवै भारत मैय्या दुश्मन मारयो नांव खेवैय्या हो।।1
नहिं कोई हुआ न हुइ है ऐसा दिलका धीर धरैय्या।
दुश्मन मारयो नांव खेवैय्या हो।।2
बड़े बड़े शूरवीर भए भारत गांधी सन्मुख पैय्या।
दुश्मन मारयो नांव खेवैय्या हो।।3
चारौ युग में नहिं कोई जन्मा ऐसा कुंवर कन्हैया
दुश्मन मारयो नांव खेवैय्या हो।।4