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उषा / ‘हरिऔध’
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क्या यह है नभ नील रंजिनी सु छबि निराली।
या है लोक ललाम ललित आनन की लाली।
विपुल चकित कर चारु चित्र की चित्र पटी है।
यात्रिलोक पति प्रीति करी प्रतिभा प्रगटी है।
परम पुनीत प्रभातकाल की प्रिय जननी है।
या जग उज्ज्वल करी ज्योतियों की सजनी है।
अखिल भुवन अभिराम भानु सहचरी भली है।
या सुरपुर कमनीय कान्ति की केलि थली है।
तरह तरह की लोक लालसा की है लीला।
या है कोई कला प्रकृति अनुरंजन शीला।
है रचना अति रुचिर रुचिरता लाने वाली।
या अरुणोदय कलित यंत्र की है कलताली।
यह दृग विमोहिनी कौन है महा मनोहरता भरी।
सुन्दर विभूति की सिरधारी लोहित बसना सुन्दरी।