उसकी ज़िद-3 / पवन करण
तुम अपने आप को क्या समझते हो —
पीछे से कमर को जोर से पकड़ते हुए उसने पूछा
मैँने उत्तर दिया — तुम्हारा प्रेमी
नहीं, नही, तुम मुझे सच सच बताओ,
तुम अपने आप को क्या समझते हो ?
कहा न तुम्हारा प्रेमी — मैने दोहराया
कैसे मान लूँ, तुम मेरे प्रेमी हो
मुझे सच्चा प्रेम करते हो —
बात खींचते हुए उसने कहा
मैंने पूछा — अच्छा तुम्ही बताओ मैं तुम्हे
किस तरह बताऊँ कि मैँ तुम्हे प्रेम करता हूँ
मैं नहीं मानती कि तुम मुझे प्रेम करते हो
अच्छा एक काम है जिसे तुम इसी वक़्त कर सको
तो मुझे लगेगा कि तुम मुझ से प्रेम करते हो
मैंने कहा — बताओ, मुझे क्या करना है
तुम इसी तरह मोटर साइकिल को चलाते हुए
पीछे मेरे होंठों को चूम कर दिखाओ तब मानूँगी
मैंने कहा — नहीं ऐसा नहीं हो सकता
उसने कहा — ठीक है गाड़ी रोको, मुझे उतारो
मैंने कहा — ठीक चलो कोशिश करके देखता हूँ
फिर मैंने जैसे ही उसके होंठों को चूमने के लिए
अपने सिर को घुमाया पीछे की तरफ
वह चीख़ते हुए बोली — क्या करते हो
मरना चाहते हो क्या, क्या मेरे कहने पर कुँए में कूद जाओगे
कोई जरूरत नहीं कुछ करने की
मैं जानती हूँ मुझे बेहद प्यार करते हो