भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उसने कहा था / कुमार अनुपम
Kavita Kosh से
पानी पर लिखा
एक ने संदेश
दूसरे ने ठीक-ठीक पढ़ा
समझ लिया
गढ़ा नया वाक्य
नई लिपि
नई भाषा का जैसे आविष्कार किया
दौर की हवा - कुल हवा -
से एक की साँसों की हवा
को चुंबन में चुना
होठों पर सजा लिया
प्रेम में
उन पर
जैसे सच साबित हुए
घटिया फिल्मों के गाने
बहाने भी
कितने विश्वसनीय लगे
प्रेम में
चुना क्या शब्द कोई एक
नया वाक्य नई लिपि नई भाषा
महसूस सका?
पूछूँ जो कविता से - ‘तेरी कुड़माई हो गई?’
-‘धत्’ - कहे और भाग जाए ऐसे
कि लगे
सिमट आई है और ...और पास।