भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसे कह तो दूँ / सुदेश कुमार मेहर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसे कह तो दूँ कि वो नूर है,
मेरी शाइरी का गुरुर है,
मेरी ख्वाहिशों का खुमार है,
मेरी आरज़ू का करार है,
मेरी हसरतों का जूनून है
मेरी चाहतों का सुकून है,

उसे कह तो दूँ कि वो इश्क है,
वो ही रूह है, वो ही मुश्क है
वो वुजूद है, वो सबात है
उसे कह तो दूँ वो हयात है,

मैं तो जिस्म हूँ कि जो ख़ाक है,
तुझे कह तो दूँ कि तू जान है,
मुझे इश्क है तेरे नाम से,
तेरी ज़ात से तेरी बात से,

रगे जाँ के वो जो करीब था
किसी और को ही नसीब था
उसे कह तो दूँ कि वो गैर है
उसे कह तो दूँ कि मैं लाश हूँ