उस शहर से गुजरते हुए / अनुराधा ओस
उस शहर से गुजरते हुए
स्पर्श करती है हवा
जिसमें बहुत से भावों की भाषा है
उस शहर से गुजरते हुए मैंने जाना
वहाँ की सड़कें
रास्तों को जीतीं हैं
जो जातीं हैं वहाँ
जहाँ कच्ची मिट्टी की झोपड़ियों में
लोग रहतें हैं
जिनको नहीं पता कि
वो किस देश में रहतें हैं
उस शहर में सँकरी गलियाँ भी हैं
हमारे मन-सी सँकरी नही
उस शहर के पूरब में
पहाड़ों को स्पर्श करता हुआ सूर्य
घने पलाश के वन भी हैं
पत्थरों के खदान में
मेहनतकश मजदूर पसीने से
धूल रहें हैं अपनी किस्मत
उस शहर के बाज़ार
रंग बिरंगे सामानों से भरें हैं
लोग सपने खरीद रहें हैं
उस शहर से सटकर बहती है
एक गम्भीर नदी
जिसने न जाने कितनी सदियों से
उस शहर की बदलती हवा सूंघी है
बदलते इतिहास को जिया है
उस शहर से गुजरते हुए पता चला कि
वहाँ के लोग हँसना जानते हैं
भाग रहे हैं सभ्यता के पीछे
वहाँ की जमीन लाल है
औरतें स्कूटी पर सवार
हवा से बातें करती हैं
पीतल के बर्तन बनाते
मजदूरों की किस्मत
चमकदार नहीं हैं
लेकिन आसमान साफ और नीला है॥