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ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर
ब्याहे ब्याहे राज करेंगे रांडा का पणमेसर
छोटे छोरे कै न जांगी, बालम याणे कै न जांगी,
देस बिराणै कै न जांगी
कासण बांटे, बासण बांटे, साझे रहा बरौला
यो भी क्यों न बांटा रांड के घर में देवर मौला
छोटे छोरे कै न जांगी...
कासण बांटे, बासण बांटे, साझे रह गई थाली
यो भी क्यों न बांटी रांड के घर में ननदल चाली
छोटे छोरे कै न जांगी...
सौड़ बांटी, सौड़िया बांटा, साझै रह गई रजाई
यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों मरी जड़ाई
छोटे छोरे कै न जांगी...
घर बांटा घरबासा बांटा साझै रह गई मोरी
यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों हो गई चोरी
छोटे छोरे कै न जांगी...