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एकजुट / रामदेव महाबीर
Kavita Kosh से
एक होने से क्या नहीं हो सकता है।
गोवर्द्धन पर्वत उठाया गया॥
कोई ऊँगली लगाई।
कोई हाथ॥
कोई सिर।
तो कोई माथा॥
कितनों की अँगुली टूटी।
कितनों का हाथ॥
कितनों का सर फूटा।
और कितनों का माथा
मगर एक होने के कारण
गोवर्द्धन पर्वत उठ के ही रहा॥