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एकमात्र रोटी / विजय राही

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पाँचवी में पढ़ता था

उमर होगी कोई

दस एक साल मेरी ।

एक दिन स्कूल से आया

बस्ता पटका , रोटी ढूँढी

घर में बची एकमात्र रोटी को

मेरे हाथ से कुत्ता ले गया ।

जब मैं रोया तो

माँ ने मुझको पीटा ।

मेरे समझ नही आया कि

माँ को कुत्ते की पिटाई करनी थी

पीट दिया मुझे

और फिर ख़ुद भी रोने लग गई

मुझे पुचकारते हुए ।


लेकिन अब मेरे समझ आया

कि माँ उस दिन क्यों रोई थी ?

दरअसल वह मुझे नही

अपनी किस्मत को पीट रही थी

कि लाल भूखा रह गया है

एक रोटी थी जो घर में

वो भी कुत्ता ले गया है  !