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एक और स्याह दिन / माधवी शर्मा गुलेरी
Kavita Kosh से
(डॉ बिनायक सेन की ज़मानत याचिका ख़ारिज होने पर)
आज का दिन
काला दिन है
एक और मसीह को
घसीट ले जाया गया है सलीब तक
इशारा मिलते ही ठोक दी जाएँगी
उसकी हथेलियों पर कीलें
ताकि उठें न वो हाथ कभी
ग़रीब की मदद के लिए
ठोक दी जाएँगी कीलें
उसके पैरों पर
ताकि चल न सके वह दूर तक
किसी मक़सद के साथ
एक और कील ठोकी जाएगी
गले में
ताकि ख़ामोश पड़े आवाज़
और
चिर निद्रा में चला जाए वो
आज का दिन काला ही नहीं
शर्मनाक भी है ।