भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक कहानी सुन / अंजना वर्मा
Kavita Kosh से
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!
एक चिरैया कितना भटकी
दाने की तलाश में
मोती-से दो दाने पाकर
झूम उठी उल्लास मेंं
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!
जंगल-नदिया पार कर चली
लिये खजाना चोंच में
बच्चे मेरे भूखे होंगे
डूबी थी इस सोच में
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!
उड़ते-उड़ते पेड़ आ गया
पुलक उठी बेचारी
बच्चों ने आहट पहचानी
फूटी थी किलकारी
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!
चीं-चीं-चूँ-चूँ लगे माँगने
"खाना दे दो माता
इतनी भूख लगी है कि अब
रहा नह़ीं है जाता
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!
दाना देकर लगी सुनाने
लोरी वह गौरैया
छोटू-मोटू लगे झपकने
ओ मैया री मैया!
एक कहानी सुन ओ मुन्ने!
एक कहानी सुन!