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एक ख्वाहिश / सुनील कुमार शर्मा

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चाहतें बदल देती हैं
चेहरा और अनुभूतियाँ
शब्द बदल देते हैं परिणाम
उजड़ी इमारतें करती हैं
अनुवाद घटनाओं का
घास ढंक देती है
सब गुनाहों को
अब मैं घास होना चाहता हूँ।