भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक घर : गर्मी की दुपहरी में / गोविन्द माथुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम अपने कैनवास पर
बनाओ एक चित्र
गर्मी की दुपहरी का

रंग अपनी पसन्द के भरो
पर गर्मी में ताप होना चाहिए
और दुपहरी में अलसायापन

धारीदार जांघिया पहने बच्चे
तख्ती-सा मुल्तानी मिट्टी से
पुता हुआ बदन जिस पर
कोलतार से तुम लिख सकते हो
एक दुपहरी गर्मी की

अगर तुम्हारा कैनवास बड़ा हो
तुम दिखा सकते हो
प्याज और आम का अचार
सूखी रोटियाँ और ठंडा पानी
अगर तुम पैदा कर सको
भूने हुए चनों और जौं की गंध
तब तुम्हारा कैनवास बन जाएगा
एक घर गर्मी की दुपहरी में